ताजगंज के प्रदूषण रहित शवदाह गृह पर संकट, ढहने के कगार पर

एडीए के एक और प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार हुआ है। ताजगंज श्मशान घाट में प्रदूषण रहित शवदाह गृह लगाने में हद दर्जे की लापरवाही बरती गई है। मिट्टी की जांच के बिना ही इसे लगा दिया गया है। बारिश ने इसके नीचे की मिट्टी बह गई। इससे यह शवदाह गृह कभी भी ढह सकता है।
ताजमहल को वायु प्रदूषण से बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जिला प्रशासन को ठोस उपाय सुझाने के आदेश दिए थे। ढाई वर्ष पूर्व तत्कालीन कमिश्नर प्रदीप भटनागर ने प्रदूषण रहित शवदाह गृह लगाने को कहा। कोर्ट ने एडीए को नोडल एजेंसी नामित किया। एडीए ने असर एग्रो को यह शवदाह गृह लगाने का ठेका दिया। वर्ष 2017 में काम चालू हुआ। इस बीच एएसआइ ने काम रुकवा दिया। इससे प्रोजेक्ट छह माह के लिए लेट हो गया। मई 2018 में चार प्लेटफॉर्म और चिमनी तैयार हुई। इस शवदाह गृह से लकड़ियों की खपत कम होगी और धुआं भी कम निकलेगा। इसे चालू किया गया। इसी बीच बारिश शुरू हो गई तो इसे बंद करना पड़ा। बारिश के चलते इस शवदाह गृह के एक हिस्से की मिट्टी यमुना नदी में बह गई। रैंप भी टूट गया। इससे शवदाह गृह को खतरा पैदा हो गया है। दो माह से इसमें एक भी अंतिम संस्कार नहीं हुआ है। इसके बाद भी एडीए के विद्युत व सिविल अनुभाग के इंजीनियरों ने कोई ध्यान नहीं दिया।